Friday, August 24, 2018

आवश्यकता



आजकल  जो मूर्तियां बनती हैं वे प्लास्टर ऑफ़ पेरिस  की बनती हैं जो  पर्यावरण के लिए अतिशय हानिकारक होती हैं। इन मूर्तियों के लिए इस्तेमाल किये हुए रंग और प्लास्टर ऑफ पेरिस पानी में नहीं घुलते और इसका प्रभाव हम सभी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। जहरीले केमिकल के कारण पानी में आम्ल अशुद्धता बढ़ जाती है साथ ही इसे बनाने के लिए जिस धातु का प्रयोग किया जाता है उससे जलजीवन भी खतरे में  जाता है। और यदि इस पानी का इस्तेमाल रोज़मर्रा के जीवन में किया जाता है तो इससे भी बहुत सारी बीमारियों के जन्म लेने की संभावना बनी रहती है।

इन सभी दुष्परिणामों  से बचने के लिए " सद्गुरु अनिरुद्ध उपासना फाउंडेशन " ने अपने संलग्न संस्थाओं की मदत से पर्यावरणपूरक गणेश मूर्ति बनाने का उपक्रम हाथ में लिया है। ऐसी मूर्तियां पानी में आसानी से पूरी तरह घुल जाती है और इससे कोई हानि भी नहीं होती है।
  


२००५  से "अनिरुद्धाज यूनिवर्सल बैंक ऑफ़ रामनाम " एवं "श्री अनिरुद्ध आदेश पथक "इनके माध्यम से तथा श्री अनिरुद्ध बापू जी के मार्गदर्शन के अंतर्गत पर्यावरणपूरक मूर्ति बनाने का कार्य शुरू किया गया है। श्रद्धावानों द्वारा लिखित रामनाम बही के जप वाले कागज़ों का इस्तेमाल करके ये मूर्तियां बनाई जाती है।

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